B.A. 3rd Year Foundation Course Hindi unit 2

B.A., B.com, B.Sc. 3rd Year Foundation Course “Hindi” Unit -2

जनसंचार माध्यमों की विशेषताओं, जनसंचार के माध्यमों का विभाजन कर उनके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।, दूरदर्शन से क्या लाभ और हानि है?, ‘दूरदर्शन जनसंचार का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है।, ‘जनसंचार’ से क्या आशय है?, ई-मेल क्या है?, प्रिन्ट मीडिया से आप क्या समझते हैं?, सरकारी टेलीविजन के सामाजिक उद्देश्य, रेडियो की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।, ‘दूरभाष’ की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।, इन्टरनेट क्या है? उपयोगिता और महत्व को प्रतिपादित कीजिए। संक्षिप्ति क्या है ? परिभाषा, उदाहरण, विशेषताएँ और प्रक्रिया लिखिए। B.A. 3rd Year Foundation Course Hindi | B.com 3rd Year Foundation Course | B.Sc. 3rd Year Foundation Course | B.A., B.com, B.Sc. Third Year Foundation Course 1st Subject | इस आर्टिकल में इकाई – 2 के Important प्रश्नो को बताया गया। | विषय: हिंदी भाषा और नैतिक मूल्य | बी.ए., बी.कॉम, बी.एससी. तृतीय वर्ष फाउंडेशन कोर्स प्रथम विषय “इकाई – 2” के इम्पोर्टेन्ट प्रश्नो को बताया।

B.A. 3rd Year Foundation Course Hindi unit 2
Foundation Course Hindi Unit -2

विषय:हिंदी भाषा और नैतिक मूल्य

इकाई (Unit) ➡ – 2

Table of Contents

प्रश्न 1. जनसंचार माध्यमों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:जनसंचार की विशेषताएँ –

  1. जनसंचार की सबसे प्रमुख विशेषता है कि यह साधारण जनता के लिए होता है, अर्थात् यह विशेष वर्ग के लिए नहीं होता।
  2. जनसंचार की दूसरी विशेषता यह है कि यह अपना संदेश तीव्रतम गति से गंतव्य तक पहुँचाता है। समाचार-पत्र, रेडियो तथा टेलीविजन के माध्यम से तीव्र गति
    से कोई भी संदेश जन-सामान्य तक पहुँचाया जा सकता है।
  3. जनसंचार का माध्यम लिखित या मौखिक कोई भी हो सकता है। मौखिक में भाषण या वक्तव्य द्वारा और लिखित में समाचार पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं।
  4. जनसंचार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकता है। प्रत्यक्ष रूप से जनता के समक्ष खड़े होकर संदेश दिया जा सकता है। अप्रत्यक्ष रूप से पर्दे के पीछे रहकर जनता
    को संदेश दिया जा सकता है।
  5. जनसंचार की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें जन-सामान्य की प्रतिक्रिया का पता चल जाता है।
  6. जनसंचार का प्रभाव गहरा होता है और उसे बदला भी जा सकता है।

प्रश्न 2. जनसंचार के माध्यमों का विभाजन कर उनके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: जनसंचार के माध्यम जनसंचार के समस्त माध्यमों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है –

  1. शब्द संचार माध्यम-प्रेस (इसके अन्तर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ तथा पुस्तकें आदि आते हैं)
  2. श्रव्य संचार माध्यम (इसके अन्तर्गत रेडियो, कैसेट तथा टेपरिकार्डर आदि आते हैं।)
  3. दृश्य संचार माध्यम (इस कोटि के अन्तर्गत दूरदर्शन, वीडियो तथा फिल्म आदि आते हैं।)

प्रश्न 3. दूरदर्शन से क्या लाभ और हानि है?

उत्तर :

दूरदर्शन के लाभ

  1. दूरदर्शन मनोरंजन का प्रमुख साधन है। दूरदर्शन पर अनेक मनोरंजक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। जैसे- फिल्में, पौराणिक कार्यक्रम, ऐतिहासिक कार्यक्रम, देश-विदेश की खबरें (समाचार), संगीत कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएँ, हर वर्ग और हर आयु के अनुरूप दूरदर्शन पर विभिन्न कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। मनोरंजन के द्वारा मानव को मानसिक शान्ति तथा नई स्फूर्ति मिलती है।
  2. दूरदर्शन पर विभिन्न ज्ञानवर्द्धक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, जिसके द्वारा ज्ञान का विस्तार होता है।
  3. दूरदर्शन पर विभिन्न व्यवसाय एवं व्यापार सम्बन्धी जानकारियाँ दिखाई जाती हैं, जिससे हर वर्ग अपनी आवश्यकतानुसार लाभ उठाता है।
  4. दूरदर्शन पर विभिन्न उत्पादकों के विज्ञापनों द्वारा उत्पादक तथा उपभोक्ता दोनों को लाभ प्राप्त होता है।
  5. विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा हमारी संस्कृति, एकता एवं अखण्डता को भी बल मिलता है।
  6. देश-विदेश के मौसम की जानकारी भी प्राप्त होती है।
  7. सरकारी योजनाओं एवं कानून से सम्बन्धित जानकारियाँ भी उपलब्ध होती हैं।

दूरदर्शन से हानियाँ

दूरदर्शन से अनेक लाभ हैं, वहीं कुछ हानियाँ भी हैं। दूरदर्शन से सर्वाधिक हानि हमारी आँखों को होती है। बच्चों में पश्चिम की सभ्यता का प्रभाव बढ़ने लगा है। वे पश्चिम की संस्कृति को अपनाने लगे हैं। दुःख की बात यह है कि बच्चे पश्चिम संस्कृति के गुणों को नहीं, बल्कि उनके अवगुणों को अपनाने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति से विमुख हो गए हैं। बच्चे अपना ज्यादातर समय दूरदर्शन के सामने व्यतीत करते हैं, जिससे उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता है। लोग अपनापन भूल स्वार्थी हो गए हैं। अधिक दूरदर्शन देखने से समय का सही सदुपयोग नहीं हो पाता, बहुत से कार्य अधूरे रह जाते हैं।

प्रश्न 4. ‘दूरदर्शन जनसंचार का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है।’ इस कथन के सन्दर्भ में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर : आज के युग में संचार माध्यम का सबसे लोकप्रिय एवं प्रभावी माध्यम दूरदर्शन है, जिसके द्वारा आज मानवीय संवेदनाएँ संसार के एक कोने से दूसरे कोने में प्रकट हो जाती हैं। आज भावनाओं के समुद्र को उजागर करने में दूरदर्शन एक सबसे सशक्त माध्यम है। दूरदर्शन द्वारा हम विश्वभर की घटनाओं को पलभर में देख सकते हैं। दूरदर्शन द्वारा हजारों मील दूर स्थित स्थानों, घटनाओं का दृश्य तथा श्रव्य माध्यम दूरदर्शन के द्वारा देखा जा सकता है। दूरदर्शन ने संचार माध्यम में क्रान्ति पैदा कर दी है। दूरदर्शन के पहले डिया संचार का महत्वपूर्ण साधन माना जाता था। रेडियो के द्वारा किसी भी खबर या घटना या संगीत को सुना जाता था, लेकिन दूरदर्शन के आविष्कार ने संचार के क्षेत्र में नई भूमिका निभाई। दूरदर्शन के द्वारा हम घटनाओं, खबरों, खेल, संगीत, विविध कार्यक्रमों को सुनन के साथ-साथ देखकर महसूस कर सकते है। श्रोता या दर्शक समाचारों एवं घटनाओं की विशेष जानकारी और पृष्ठभूमि को समझकर रोमांचित हो जाता है। वर्तमान समय में दूरदर्शन पर विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं, जिसके द्वारा मनुष्य विविध मुद्दों पर अपनी समझ बढ़ा रहा है। दूरदर्शन ज्ञान का सागर है, जिसमें विभिन्न चैनल्स के माध्यम से नई नई जानकारियाँ, डिस्कवरी चैनल से विभिन्न ज्ञान, समाचार चैनल्स से तात्कालिक खबरें, मनोरंजन चैनल्स से मनोरंजक कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। दूरदर्शन के माध्यम से उत्पादक अपने उत्पादों के विज्ञापनों द्वारा जहाँ अपना व्यापार बढ़ा रहा है, वहीं उपभोक्ता अच्छे उत्पादों की जानकारी प्राप्त कर उसका लाभ उठा पाते हैं। व्यापार व्यवसाय के साथ-साथ कृषि सम्बन्धित कार्यक्रमों के द्वारा कृषक भी लाभान्वित होते हैं। विद्यार्थियों को जहाँ एक ओर ज्ञान का विस्तार करने का अवसर प्राप्त होता है, वहीं भविष्य की चुनौतियों के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है।

सारांशत: हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि वास्तव में विज्ञान के चमत्कारों में दूरदर्शन एक सशक्त दृश्य माध्यम है, जिसने मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि करने में सफलता पाई है, साथ ही उसे सावधान भी किया है, वह निश्चित रूप से युगदृष्टा और समाजसृष्टा है।

प्रश्न 5. प्रिन्ट मीडिया से आप क्या समझते हैं?

उत्तर :प्रिन्ट मीडिया इसके अन्तर्गत समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें, लघु पुस्तकें (Booklets) आदि आ जाते हैं। मुद्रण प्रणाली के आविष्कार से पूर्व कृति को हाथ में लिखकर सुरक्षित रखा जाता था। जितनी प्रतियों की आवश्यकता होती, उतनी ही बार उन्हें लिखना पड़ता था। इस कार्य में काफी समय और श्रम लगता था। कागज के आविष्कार से पूर्व भारत में ग्रंथों को भोजपत्रों पर लिखा जाता था। मुद्रण ने प्रतियाँ बनाने की इस प्रक्रिया को पूर्णत: बदल दिया। सीसे के बने अक्षरों को जोड़कर और फरमें में बाँधकर छपाई की मशीन में फिट कर अक्षरों पर गाड़ी स्याही लगाकर मशीन द्वारा कागज पर दबाव दिया जाता था जिससे कागज पर अक्षर छप जाते थे। इसी प्रकार सैकड़ों प्रतियाँ कुछ ही घण्टों में मुद्रित हो जाती थीं। यह मुद्रण की पुरानी विधि थी। अब इसमें बड़ा भारी परिवर्तन आ चुका है। ऑफसेट, फोटो कंपोजिंग और लेटर प्रिटिंग ने मुद्रण के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन ला दिया है। मुद्रड़ के कारण समाचार-पत्रों का प्रकाशन आरम्भ हुआ। समाचार पत्र को प्रिटिंग प्रेस में छापा जाने लगा और हॉकरों द्वारा पाठकों को पहुँचाया जाने लगा। परिवर्तन साधनों के उपयोग से समाचार-पत्र दूसरे नगरों में पहुँचने लगा। इस प्रकार समाचार पत्र ने लोगों को सूचना देने के दायित्व को संभाल लिया। इसके साथ ही लोगों के विचारों को भी उसने मुखर करना आरम्भ किया। समाचार-पत्रों ने घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट न देकर उसके सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक पक्षों का भी विश्लेषण किया। इस प्रकार समाज में जागृति फैलाने का कार्य समाचार-पत्रों ने किया।

प्रश्न 6. सरकारी टेलीविजन के सामाजिक उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर :सरकारी टेलीविजन के सामाजिक उद्देश्य –

  1. सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक अर्थात् सामाजिक परिवर्तनों की गति में वृद्धि करने के एक कारक के रूप में कार्य करना।
  2. जनसंख्या नियंत्रण और परिवार-कल्याण के माध्यम के रूप में परिवार नियोजन का संदेश प्रसारित करना।
  3. लोगों में एक वैज्ञानिक सोच विकसित करना।
  4. राष्ट्रीय अखण्डता को बढ़ावा देना।
  5. खेल और क्रीड़ाओं में रुचि विकसित करना।
  6. महिलाओं, बच्चों और अन्य सुविधाविहीन वर्गों के कल्याण सहित सामाजिक कल्याण उपायों की आवश्यकता को जन-जन तक पहुँचाना।
  7. कला और सांस्कृतिक विरासत के मूल्यांकन हेतु उचित मूल्य विकसित करना।
  8. पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकीय सन्तुलन को बढ़ावा देना।

प्रश्न 7. रेडियो की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : रेडियो को बिना कागज और बिना दूरी का समाचार-पत्र कहा गया है। रेडियो जो श्रव्य-माध्यम की श्रेणी में आता है, इस जन-माध्यम को पत्रकारिता की दृष्टि से ‘श्रव्य – समाचार-पत्र’ भी कह सकते हैं, क्योंकि यह माध्यम समाचारों-सूचनाओं को आकाश में प्रसारित कर ‘सुनाता’ है। यह माध्यम श्रवणेन्द्रियों के जरिए सारी दुनिया को श्रोता के निकट ले जाता है और सुदूर दुर्गम स्थानों तक में रहने वाले लाखों-करोड़ों लोग बाहरी दुनिया से जड जाते हैं, जहाँ तक मुद्रण-माध्यम की पहुँच नहीं है। आज निरक्षर, निर्धन और नेत्रहीन जनता के लिए आकाशवाणी वरदान सिद्ध हुई है। यह ऐसा सरल तथा सुगम साधन है जिसके द्वारा दूर-दूर तक फैले श्रोताओं को पलभर में संदेश प्रसारित किया जा सकता है।

शिक्षा और सूचना जनसंचार की आत्मा है तो मनोरंजन उसकी संजीवनी हैं। मनोरंजन ही रेडियो को लोकप्रिय और लोकरंजक बनाता है। दिन भर के श्रम से लौटे किसान, मजदूर, कामगार, दफ्तरी, कर्मचारी घर आते ही रेडियो के गीत सुनते हुए आराम महसूस करते हैं। रेडियो के विविध कार्यक्रमों के बीच गीत-संगीत, नाटक-प्रहसन, चुटकुले, अन्त्याक्षरी, ज्ञानवाणी आदि कार्यक्रम भरपूर मनोरंजन और जीवंतता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8. ‘दूरभाष’ की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : दूरभाष – दूरभाष (टेलीफोन) एक ऐसा संचार माध्यम है, जिसका प्रयोग अन्य माध्यमों की अपेक्षा सर्वाधिक है। टेलीफोन शब्द अंग्रेजी के तीन पदों से मिलकर बना है। टेल-ई-फोन, जिसका अर्थ होता है- दूर की ध्वनि । हिन्दी में इसके लिए ‘दूरभाष’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, जिसमें अंग्रेजी का यह शब्द पूर्णत: अनुवादित हो सका है। दूरभाष के उद्गम को लेकर विभिन्न मतभेदों के बावजूद यह सर्व स्वीकार्य तथ्य है कि इसके आविष्कार का श्रेय स्कॉटलैण्ड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलेक्जेण्डर ग्राहम बेल को दिया जाता है। ग्राहम बेल ने अपने सहयोगी थॉमस वाटसन के साथ मिलकर 10 मार्च, 1876 में जब पहली बार इलेक्ट्रॉनिक अभिकरणों के माध्यम से इस वाक्य को पूरी तरह संप्रेषित किया कि ‘Watson, come here, I want to you’ तभी से टेलीफोन की शुरूआत मानी जाती है।

प्रश्न 9. इन्टरनेट को स्पष्ट करते हुए उसकी उपयोगिता और महत्व को प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर :

इन्टरनेट से आशय

इन्टरनेट वर्क सिस्टम का संक्षिप्त नाम इन्टरनेट है। इस सन्दर्भ में इन्टरनेट का सरलार्थ है ‘आन्तरिक संजाल’ । यहाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की अनेक नेटवर्क प्रणालियाँ (जो लगभग 40 हजार से अधिक हैं) उपलब्ध हैं, जिनका भरपूर लाभ इन्टरनेट के द्वारा आसानी से उठाया जा सकता है। यह एक ऐसी प्रौद्योगिकी है, जिसमें करोड़ों कम्प्यूटर एक नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। यह डिजिटल स्त्रोत और रिसीवर को जोड़ने की प्रक्रिया है। इसे सामान्य तरीके पर कम्प्यूटरों के विश्वव्यापी नेटवर्क के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जो एक प्रोटोकाल (सूचना के आदान-प्रदान सम्बन्धी नियम) के आधार पर संचार करते हैं। इसके माध्यम से सबसे अधिक विभिन्न स्त्रोतों से सूचनाओं तक पहुँचा जाता है, जिसमें व्यक्तियों और विश्व भर के संगठनों का योगदान होता है, इसे नेटवर्क ऑफ सर्वर्स (सेवकों का नेटवर्क) कहा जाता है।

इन्टरनेट की उपयोगिता एवं महत्व

इन्टरनेट का एक ‘वर्ल्ड वाइड वेव’ (www) हैं, जिसका लघु नाम वेब है, जो विभिन्न संगठनों, औद्योगिक इकाइयों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, शैक्षिक प्रतिष्ठानों, आम व खास हितों से सम्बद्ध समूहों या निजी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए हजारों सर्वरों को आपस में जोड़ता है।

इन्टरनेट का सबसे अधिक उपयोग ई-मेल भेजने के लिए किया जाता है। यह प्रयोगकर्ता के द्वारा उपयोग किया गया सर्वाधिक प्रचलित संचार का प्राथमिक माध्यम है। यूरोप में तकरीबन 85 प्रतिशत इन्टरनेट के प्रयोगकर्ता ई-मेल का उपयोग करते हैं।

इन्टरनेट के माध्यम से सभी प्रकार की सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। ये सूचनाएँ किसी वेब पेज के रूप में इन्टरनेट से जुड़े किसी भी कम्प्यूटर में संग्रहित हो सकती हैं तथा इनका अवलोकन किसी भी कम्प्यूटर पर किया जा सकता है। इसे इनफॉरमेशन सुपर हाइवे भी कहा जाता है। इन्टरनेट की सीमाएँ नहीं हैं तथा इसका कोई नियंत्रक भी नहीं है। आवश्यक हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर तथा उपयुक्त संयोजन के द्वारा इन्टरनेट से कभी भी कहीं से भी जुड़ा जा सकता है।

जन-साधारण के उपयोग के लिए अनेक प्रकार की सरकारी सूचनाएँ, विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम एवं प्रवेश सम्बन्धित सूचनाएँ, अनुसंधान, उच्च शिक्षा तथा रोजगार से जुड़े हुए विषय, गीत-संगीत, सिनेमा, पर्यटन, खेलकूद, आर्थिक जगत, कम्पनी कारोबार, ज्योतिषधर्म, विवाह, कला, वास्तुशास्त्र, संग्रहालय, ग्रंथालय आदि से सम्बन्धित सूचनाएँ इन्टरनेट से प्राप्त की जा सकती हैं।

प्रश्न 10. सिद्ध कीजिए कि ‘सोशल मीडिया के कारण सामाजिक जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आये हैं।’

उत्तर :- ‘सोशल मीडिया’ को परस्पर संवाद का वेब-आधारित एक ऐसा अत्यधिक गतिशील मंच कहा जा सकता है जहाँ लोग आपसी संवाद करते हैं, आपसी जानकारियों का आदान-प्रदान करते हैं। वर्तमान समय मे युवाओं के जीवन में सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने क्रान्तिकारी परिवर्तन किया है। अगर इन्टरनेट एक मोबाइल एसोसिएसन ऑफ इंडिया द्वारा जारी आँकडों की मानें तो भारत के शहरी इलाकों में प्रत्येक चार में से तीन व्यक्ति सोशल मीडिया का किसी न किसी रूप में प्रयोग करते हैं।
भारत सहित दुनिया के विभिन देशों में सोशल मीडिया ने व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं अपितु सामाजिक और सरकारी संगठन पर भी अपने अभिमतों को मजबूती प्रदान की है। हाल के वर्षों में अरब जगत में हुई क्रान्तियों में सोशल मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। ट्यूनीशिया में 20 साल पुराने तानाशाह अल अबीदीन बेल और मिस्र में होस्नी मुबारक का पतन इसका उदाहरण है। एक साधारण-सी लड़की के सोशल मीडिया पर छोड़े गए संदेश से तहरीर चौक पर लाखों लोग जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एकत्र हो गए थे। भारत में अन्ना हजारों का आन्दोलन भी सोशल मीडिया की उपयोगिता का एक उदाहरण माना जा सकता है। अब किसी भी विषय पर बहस करने के लिए लोगों को आपस में मिलकर बैठने की आवश्यकता नहीं है, सोशल मीडिया के मंच पर एक क्लिक से किसी भी विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

बहरहाल इसमें कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया आज आवश्यक होने के साथ – साथ उपयोगी भी हैं, लेकिन इसके नकारात्मक पहलू से बचने की आवश्यकता है क्योंकि जब किसी भी चीज की दुरुपयोग होने लगता है तो वो वरदान नहीं अभिशाप बन जाता है।

प्रश्न 11. ‘जनसंचार’ से क्या आशय है?

उत्तर : ‘जनसंचार’ शब्द ‘जन’ और ‘संचार’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है। इसको ‘मास मीडिया’ भी कहा जाता है। ‘जन’ से आशय जनता, लोक या पब्लिक से है। ‘संचार’ का अर्थ मनुष्य का एक-दूसरे के साथ व्यवहार, भाईचारी तथा एक-दूसरे को संदेश प्रेषण से है।
“किसी भाव, विचार संदेश या जानकारी को दूसरों तक पहुँचाने की सामूहिक प्रक्रिया को हम जनसंचार कहते हैं।”

प्रश्न 12. जनसंचार माध्यम में चित्रपट (फिल्म) का क्या स्थान है?

उत्तर : जनसंचार माध्यम में चित्रपट अथवा सिनेमा का भी अपना स्थान है। चित्रपट आरम्भ होने से पहले लोगों के जीवन में मनोरंजन के श्रेष्ठ साधन नहीं थे। कुछेक माध्यम अवश्य थे. जो लोगों के मनोरंजन का साधन थे, जैसे- नौटंकी, रामलीला, नक्कड, नाटके, प्रहसन आदि किन्तु इनकी अपनी मर्यादाएँ थीं। आचार्य भरतमुनि ने इस दृष्टि से ही नाटक को जनता के मनोरंजन का साधन मानते हुए उसे पंचमवेद भी कहा है। चित्रपट या सिनेमा नाटक की ही अगली कड़ी है। नाटकों की तुलना में चित्रपटों का विकास अधिक तेज गति से हुआ है और लोग इसके प्रति तेजी से आकृष्ट हुए तथा शीघ्रता से इस माध्यम को आत्मसात किया। भाषा के विकास में इस माध्यम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है अर्थात् सिनेमा ने अहम् भूमिका निभाई है। खासकर हिन्दी भाषा संगीत और राष्ट्रीय एकता के परिप्रेक्ष्य में चित्रपटों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

प्रश्न 13. ई-मेल क्या है?

उत्तर :-  ई-मेल, संदेश सम्प्रेषण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रेषक व प्राप्तकर्ता कम्प्यूटर तथा इन्टरनेट कनेक्शन के माध्यम से सम्बन्ध स्थापित करते हैं। तकनीकी रूप से ई-मेल एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक डाक्यूमेन्टों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित करने को कहा जाता है। इस प्रकार ई-मेल इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम संचार साधन के माध्यम से कम्पोजिंग करने, संग्रहित करने तथा प्राप्त करने की विधि है।

प्रश्न 14. संक्षिप्ति का उदाहरण देते हुए परिभाषा लिखिए।

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प्रश्न 15. संक्षिप्ति की विशेषताएँ लिखिए।

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प्रश्न 16. संक्षिप्ति के दो प्रमुख रूप उदाहरण सहित लिखिए।

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प्रश्न 17. संक्षिप्ति निर्माण की प्रक्रिया समझाइए।

“अथवा”

संक्षिप्ति किस प्रकार बनाई जा सकती है? इसके कुछ उदाहरण दीजिये।

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